जिन्दगी भी बड़ी अजीब –अजीब से खेल दिखाती है ,कुछ चीज़े को दिमाग भुला देता है,और कुछ को दिल ,मगर पहला प्यार तो पहला ही होता है ,उसके अहसास को शब्दों मैं बयां नहीं किया जा सकता . कभी –कभी उन बातो को सोच के ऐसा लगता है कि , काश वो वक़्त समुंद्र के किनारे रेत पे लिखे नामों जैसा क्यों नहीं है ,जिसे कोई तेज लहरे मिटा देती .
अपने मेल बॉक्स को चेक करते हुए हिकमा जैसे की पुरानी यादो मैं चली गयी .
प्लीज़ –प्लीज़ हिकमा मुझे एक मौका और दे दो तुम जैसा सोच रही वैसा बिलकुल भी नहीं है .
कबीर ,बहुत हो गया तुम्हारा ये नौटंकी ,मुझे अपना तमाशा नहीं बनवाना .
यार गलती हो गयी माफ़ कर दो न ,कबीर ने रोनी सूरत बनाते हुए कहा .
मगर हिक्मा कुछ भी सुनने के मूड मैं नहीं थी
कभी –कभी गुस्सा इंसानी दिमाग पे ऐसी परत चढ़ा देता है ,जिसे थोड़ी देर लिए भेद पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन होता है
मगर ये थोड़ी देर कभी –कभी बड़ी -बड़ी दूरियों मैं बंट जाती है .
हिकमा एक इवेंट मैनेजमेंट कंपनी मैं काम करती है ,जो बड़े –बड़े शोज़ करती है और प्रोडक्ट को प्रमोट करती है .
और आज कल नवरात्री के दौरान वो सूरत मैं थी और उसे वो मेल आया था वड़ोदरा मैं एक इवेंट करने के लिए .
और उस इवेंट का मुख्य आकर्षण था वड़ोदरा का लोकल लड़का “कबीर” एक मशहूर गिटारिस्ट .