Ratnakar Mishra

02/24/2019

हजारो बचा के लाखों पाओ

Filed under: Social issue — ratnakarmishra @ 1:30 pm

हम फिल्म का एक फेमस डायलॉग है , “इस दुनिया में दो तरह का कीड़ा होता है. एक वो जो कचरे से उठता है और दूसरा वो जो पाप की गंदगी से उठता है “,बस ऐसा ही कुछ -कुछ मान लो  कि ,दो तरह के इंसान होते है ,एक जो अपना पेट काट काट कर पैसे बचाता है ,और दूसरा जो दुसरे का पेट काट कर पैसे  उड़ाता है , तो दुसरे की बात किसी दुसरे दिन ,चलो आज पहले की बात करता हूँ जो पेट काट -काट के पैसे बचाता है .

सोहन ने अभी -अभी अपना पचीसवा बसंत देखा है ,तीन साल पहले इंजीनियरिंग पास करने के बाद  बंगलोरे की एक आईटी कंपनी मैं नौकरी लग गयी ,बंगलौर के तीन साल कैसे बीते पता भी नहीं चला ,वीकेंड पार्टी ,दोस्त ,ट्रिप और न जाने क्या -क्या ,मोदी जी के कैश्लेश इकॉनमी का चलता फिरता  उदाहरण  ,महीने भर क्रेडिट कार्ड से मौज फिर महीने के स्टार्ट मैं बिल पे ,बड़ी अच्छी लाइफ चल रही थी ,घर से न कोई  मांग ,न कोई लाईबीलिटी जिन्दगी एक दम से फ़ास्ट एंड फूरिउस टाइप से भाग  रही थी ,की अचानक से सन्डे की सुबह का एक फोन कॉल और फिर .ज्यादा फ़िल्मी न बनो  ,घबराने की कोई जरूरत नहीं है , मम्मी का फोन था , मम्मी ने एक लड़की पसंद कर ली थी और सोहन को उससे मिलने जाना था ,जेपी  नगर के ” हकुना मटाटा ” रेस्टोरेंट मैं . सुबह से ही इस सोहन  का हकुना अलग हो चूका था और मटाटा अलग ,मेरा मतलब उसकी हवा निकल गयी थी ,कहाँ आजादी के सांस  अच्छे से उसने लेना शुरू ही किया था कि ,घर वालो ने इन्हेलर थमा दिया . बस इसी परेशानी मैं  पिछले  तीस मिनट मैं तीन बारबाथरूम जा चूका था  , वो तो गनीमत ये थी की सन्डे था नहीं तो रूम मेट से पीटने से कोई नहीं बचा सकता था .

अब तो बड़े हो जाओ .

मम्मी आप भी !

अरे ये क्या तू अब पच्चीस क हो गया है ,अब तेरे लिए लड़की नहीं देखेगे क्या ? सुबह -सुबह मम्मी जी  ने फोन पर   अपना तुगलकी फरमान  सुना दिया ,देख गुप्ता जी की  लड़की की भी शादी हो गयी है ,अब तेरा ही नंबर है

ये गुप्ता जी के लड़के क्या कम थे ,जो अब उनकी लडकिया भी हम आम आदमी की जिन्दगी मैं साप बन कर डसने आ गए ,वैसे एक बात मेरी समझ मैं आज तक नहीं आई की ,साला पूरी दुनिया मैं सिर्फ गुप्ता जी के बच्चे ही काबिल है .

डोनाल्ड ट्रम्प का पडोसी भी जरूर कोई न कोई गुप्ता होगा ,स्टीव जाव ,अम्बानी सभी के साथ कोई न कोई गुप्ता जी का लड़का भी पढ़ता होगा ,सिर्फ एक  देश हमारे आस -पास ऐसे है जहाँ गुप्ता जी कुछ नहीं चलती ,वैसे इस इंटरनेशनल मसले से ज्यादा ज्वलंत था सोहन का “हकुना मटाटा”  जाना .

 

 

04/28/2018

डार्क नाईट हिकमा पार्ट -2

Filed under: Social issue — ratnakarmishra @ 5:50 pm

डार्क नाईट हिकमा पार्ट -2

कबीर कैसे हो ?

गले मैं बैकस्टेज का पास लगाए हुए हिकमा ने कबीर से सवाल किया .

कबीर जो कि ,उस वक़्त सर झुकाए अपने गिटार के टुनर को एडजस्ट कर रहा था ,बिना सर उठाए उसने कहा अच्छा हूँ.

स्टेज सज चुका था ,कबीर की एंट्री की तैयारी हो चुकी थी .अचानक से कबीर आवाज़ की दिशा मैं पलटा ,मगर तब तक उसकी एंट्री का अनाउंसमेंट हो गया था .

स्टेज पे जाते –जाते उसने एक नज़र उस चेहरे पे डाला .याद करने की कोशिश की

पहला प्यार पहला ही होता है ,जो लाख भुलाने की कोशिश करो मगर जिन्दगी भर याद रहता है .

जो मन के एक कोने मैं दबा सा रहता है ,पहला प्यार उसे कोई नहीं छुता ,मगर जब बरसो बाद पहला प्यार सामने आ जाये तो ,कोने मैं दबा हुआ वो प्यार ऐसे बाहर आता है ,जैसे की सावन की बरसात ,जो तन के साथ –साथ मन को भी भिंगो देती है .

कबीर के गाने ने वड़ोदरा का दिल जीत लिया था ,मगर उसका खुद का दिल कही और था ,वो जल्दी से जल्दी हिकमा से मिलना चाह रहा था .

क्यों ? उसे खुद ही नहीं मालूम था.

 

 

 

 

करिया घोड़ा ! है कमाल का

Filed under: Social issue — ratnakarmishra @ 11:08 am

का हो मिश्रा इ लाल -लाल आँखे ले के कहा घूम रहे हो ,

अरे का बताये शर्मा जी रात मैं सो ही नहीं पाए .

काहे का हुआ ? ऐसे  चेहरा बना के शर्मा जी हमरे तरफ देखे की हम शर्मा गए .

अरे आप जैसा सोचते है वैसा कुछ नहीं है , रात मैं दू -दू गो किताब ख़तम किए ,माने का बताए दोनों का दोनों भोकाली किताब था .

शाम मैं अमेज़न वाला पपुवा पार्सल दे गया करीब सात बजे उसके बाद हम फाड़े पार्सल और शुरू हो गए .

डार्क हॉर्स 

का जबर लिखे है ,नीलोत्पल मृणाल भाई ने कि  गुजरात मैं रहते हुए मुफ्त मैं मुखर्जी नगर, देल्ही का ऐसा दर्शन कराए की कुछ देर के लिए ऐसा लगा की हम भी मुखर्जी नगर से आईएस बन के ही निकलेंगे .

ऐसा जबर -जबर  केरेक्टर है ,इस किताब मैं कि पूछिए मत कही कोई अंगरेजी मीडियम वाला लौंडा बकेती करता है ,तो कही रायसाब का  प्रवचन ,तो कोई गुरु भाई जैसा ज्ञानी है और संतोष जैसा कर्मठ ,  ऐसा सटीक चित्रण है, की एक बार हाथ मैं किताब ले लीजिये उसके बाद भूख और प्यास का का कहना वो तो आते ही चला जायेगा .

कहानी मैं कही कोई स्पीड ब्रेकर भी नहीं है , ऐसा लगता है गुजरात मॉडल पे बना फोर लेन है ,जिसमें आप क्रूज़ ड्राइविंग का मज़ा लेते हुए एक सौ बीस की रफ़्तार से गाड़ी चला रहे है.

मेरे पास और कुछ कहने के लिए शब्द ही नहीं है ,बस पढ़िए और मज़े लीजिये एक उम्द्दा नावेल का .

 

 

03/22/2018

शहर मैं इश्क होना

Filed under: Social issue — ratnakarmishra @ 4:59 pm

ratnakar.JPG24 फरबरी 2015 को मुझे रवीश जी की किताब इश्क मैं शहर होना मिली थी ,एक ही सांस मैं पढ़ डाली अब कितनी बड़ी सांस थी ये तो आप को किताब  पढ़ने के बाद पता चलेगा ,किताब पढने के बाद उसी दिन किरया खाए की हम भी लिखेगे और हमरा लिखा रविश जी कभी न कभी अपने प्राइम टाइम पे पढ़ेगे .मगर किरया तो जोश -जोश मैं खा लिए थे ,मगर ई नहीं मालूम की लिखेगे का .बस अब कोशिश कर रहे है ,अच्छा लगा  आगे सरकाइयेगा नहीं तो अब आप लोग खुद्दे समझदार है .

एक दुनिया गोबर सी 

साहब प्यार से डर नहीं लगता ,थप्पड़ से लगता है ?

प्यार तो कोई भी ऐरा-गैरा जता जाता है ,गोबर उठाते हुए चंपा ने कहा .

इस गाव मैं हज़ार ऐसी आँखे है ,जो ऐसी नजरों से देखती है कि ,आप समझ रहे है न बाबु .

ऐसा नहीं है  चंपा ,कुछेक आखों मैं इश्क भी होता है .

अच्छा  ,ऐसी किसकी  आँखे है ?

वो सब छोड़ो चंपा तुम मेरे साथ शहर क्यों नहीं चलती ?

चंपा की दुनिया ये गोबर सी है , जो बस आँगन मैं लिपना जानती है .

वैसे ,आप हमेशा शहर जाने की बातें क्यों करते है .

कही ,शहर मैं इश्क  तो नहीं हो गया आप को .

 

 

 

03/17/2018

परलोक मैं सैटेलाइट

Filed under: Social issue — ratnakarmishra @ 3:44 am

RATNAKAR_MISHRA

कुछ चीज़े कड़वी होती है ,उन्हें पचा पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन होता है ,मगर ऐसी चीज़े आप के स्वास्थ को लाभ देती है ..न न  ये हेल्थ ब्लॉग नहीं है आप पढना जारी रखे आगे आप को ढेर सारे ऐसे मसाले मिलेंगे जिसके बारे मैं, मैं याकि से कह सकता हूँ वो आप का हाज़मा नहीं बिगड़ेगा .

व्यंग्य लिखना अपने आप मैं चुनौती है ,और व्यंग्य नावेल लिखना ऐसा की जैसे किसी ने दशरथ माझी के हाथ से हथोड़ा छिन कर रास्ता बना डाला ,ऐसा मेरा मानना है ,बाकि लोगो का क्या है मुझे नहीं मालूम .मगर परलोक मैं सैटेलाइट कुछ ऐसा है ,बंगलोरे से शुरू होती कहानी स्वर्ग ,नर्क ,बैकुंठ का भ्रमण करते हुए पुनः पृथ्वी पर आ जाती है ,कहानी मैं शेयर मार्किट वाली उछाल और गिरावट है ,अगर म्यूच्यूअल फण्ड वाले की नज़र से देखा जाये तो रिटर्न अच्छा नहीं बहुत ही उम्द्दा है .

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