“मोहब्त एक एहसासों की पावन सी कहानी है ,कभी कबीरा दीवाना था …अभी मेरे रूम वाले दीवाने थे …”बस अब तो चारो और यही सुने जा रहे थे …मुझे तो कभी-कभी ऐसा लग रहा था की ….ये मैं बाढ़ पीड़ित शिविर की तरह कही …प्यार पीड़ित शिविर मैं तो नहीं रह रहा हूँ …
लेकिन यदि आप मैं से कोई भविष्य मैं या ज्योत्सी मैं विश्वास रखता है तो ये जरूर जनता होगा की “वक्त से पहले और भाग्य से ज्यादा किसी को न मिला है और न मिलेगा “बस फिर भी मुर्ख लोग लगे रहते है …और इन मूर्खो मैं, मैं भी शामिल हो गया …हर –हर महादेव बोल के ….उस समय न सोचा की अब आगे क्या होगा ….लेकिन मेरी गाड़ी ज्यादा आगे नहीं चली …मेरी क्या किसी की भी नहीं चली …हा कुछ लोग जबरदस्ती धकेल रहे थे मगर मुझे पता था की …वो भी ज्यादा दूर आगे नहीं जा सकते है …..personal experince जो था ….
टूटे हुए दिल को बहलाने का एक मात्र साधन होता है नशा … क्योंकि जैसे लोहा –लोहे को काटता वैसे ही इस प्यार के नशे को कोई नशा ही काट सकता था ….बस फिर क्या था .शुरू हो गए हम सभी भाई लोग …..मगर वो नशा ज्यादा दिन तक नहीं चला क्योंकि EXAM ने दरवाज़े पर दस्तक दे दी थी ….और फिर सारा नशा उड़ गया था …बस सामने कुछ दिख रहा था तो EXAM और EXAM
फिर धीरे –धीरे वक्त ने उस दर्द मैं भी मरहम लगाना शुरू कर दिया ..लेकिन ..घाव तो भर गए लेकिन दाग अभी भी है ….जो वक्त बे वक्त याद दिलाते है ….
कहते है की जिन्दी मैं जब तक कोई बड़ा तूफान न आये तब तक आदमी सम्हालना नहीं सीखता है …बस ऐसा ही कुछ बड़ा तूफान आया हमारा EXAM RESULT ले कर ….और उसने जो तबाही फैलाई वो बहुत ही खतरनाक था ….