Ratnakar Mishra

04/13/2012

ये क्या हुआ ? केरला कि कहानी part-4

Filed under: Social issue — ratnakarmishra @ 7:08 am
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Chapter -4

बड़े भारी कदमो से मैं ने मैं Main Gate से Entry ली इतने मैं एक guard ने मुझे रोका , मगर न जाने क्यों उस ने मुझे जाने दिया , शायद वो मेरा दर्द समझ गया था कि मैं कितना दुखी हूँ यहाँ आकर या फिर कुछ और .

Campus मैं काफी हरियाली थी ,क्योंकि चारो और सिर्फ पेड़ कि पेड़ थे , कुछ कदम तय करने के बाद मैंने देखा कि कुछ लोगो खड़े थे और cofee का मज़ा ले रहे थे , मेरे साथ आये दोनों बंदे उस भीड़ मैं शामिल हो गए मुझे अकेला छोड़ कर, सभी मेरे जैसे ही नए थे और काफी खुश नज़र आ रहे थे न जाने क्यों ? तभी किसी ने annonce किया कि सारे New admission  “Amphitheatre”  कि और जाये .

“Amphitheatre” का नाम सुनते ही मेरे मन मैं वो ROMAN ARENA नज़र आ गया जहाँ पर “Spartacus“ खूनी खेल खेला करते थे , मैं ने सोचा चलो अपने कॉलेज मैं “Amphitheatre” नाम कि कोई चीज़ तो है ,जहाँ पर हम अपनी शाम बिताया करेगे , और फिर अपने ख्वाबो मैं खोया-खोया मैं लोगो को follow करने लगा जो कि Amphitheatre कि और जा रहे थे , किसी ने सच कहा है कि दिन मैं सपने नहीं देखने नहीं चाहिए यदि वो टूटते है तो काफी ज्यादा दुःख होता है .और मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ , एक 20 By 22 का कमरा था जिसके दरवाज़े  पर एक board टंगा था और उस पर लिखा था “Amphitheatre”.

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